आज उस ध्वज को सलाम जो किसी कि कफन पर बंधा हैं lसलाम मेरा उस बच्चे को जो उस कफन में सोया हैं lबलिदान नहीं यह सेवा हैं,परिवार को कहूँगी यह होना हैं l देश के लिए यह प्यार, कभी निभाया तो आप खुशनसीब हैं lजिनके कारन हम जी रहे हैं, हमें मुश्किलो से जो बचाते हैं lना जाने क्यों उनके परिवार को आधार ही नही हैं l
Category: Short Poems
जीवन नैया डुबे ना, संभाले सारा खेल । सही समय सही स्थान दिखाना जाने वो, सात जनम हो या ना हो जाने नही हम, पर इस जीवन में मरते दमतक राह संभाले वो संभाले जीवन नैया, नचाना जाने वो।
कठपुतलियॉ
कठपुतलियॉ ऊपरवाले की हम, जान लो हाथों पर नचाना जाने वो, रास्तें आसान या हो मुश्किल, सदा डोर जीवन की पकड़े हमारी ।
मेरी जान मुंबई
लंबी चौडी, सीना तानी इमारते झलकती , लोग सोए सडकोंपर एैसा दृश्य दिखाती। कामयाबी, हार-जीत सारे जिंदगी के पहलु निहारे बदली मै, नजरिया अलग, शहर बदला, संग उसके चौबारे। रात-दिन श्रम है करते, कुछ करे चोरी चकारी, कुछ बैठ गए दफ्तरों में कुछ सड़कों पर करे सवारी, सपने सजाते, घर बनाते, हँसी खुशी वक्त बिताए आओ एैसी सपनों से सजी हुई सुंदर स्वच्छ मुंबई बनाए ।
वाट संपते तरीही,चालत मी रहातो |कोरड्या आसवां सवे …ओझे स्वप्नांचे वाहतो ||
खोल अथांग तळ मनाचा,आठवणींचे मोती शिंपल्यात |वेचता आज अचानक येई …एक गुलाबी मोती ओंजळीत ||
घन श्रावणाचा,मोहरून आलेला |संदेश प्रीतीचा …पोचवण्या अधिरलेला ||
गुरूविण आधार जगी या नाही lहात गुरूचा मज मस्तकी सदैव राही lहीच प्रार्थना करतसे मी गुरूकडे lपार करीन गुरुकृपेने संकटांचे कडे l
तू बरसून जा,तू स्पर्शून जा |धुंदावून ह्या कायेस…एक शहारा देऊन जा ||
अमृतधारा
बरसाव्या जलधाराजणू कlही या अमृतधारापाण्याविना सारे शुष्कचार सरीही देती अपार सुख मेघ दाटता मोर नाचतीकडाडत्या विजा चमचम करतीपाऊस येता मंडूक डर्रावतीचातकही ते सुखावून जाती हिरव्या शालूने नटू दे धरतीचिंब भिजू दे हिरवी पातीमनांत दाटावी ओली प्रितीअमृतधारांची किती ही महती