मौसम आमादा हैं बरसात के लियेमगर आसमान सिर्फ बदरीसे घीरे हैं,जुबान तो होती बोलनेके लियेमगर अल्फाज तालोंसे घीरे हैं l
Category: Shayri
शब-ए-माहताब पूरे नूर पें आई हैदीदार-ए-यार मगर मुमकिन नहीं..फाँसले जताना मंजूर हैं लेकिन..ये न कहना हम तेरे मुन्तज़िर नहीं..
दिन के उजालें मेपिसती है यहाँ जिंदगीखोजता है फिर आदमीअंधेरे में सुकूँ अपना कुदरत ने बख्श दीजिंदादिल ए जिंदगीआदमी गवाँ बैठाजिंदगी से जिंदादिली
तलाश मै हूँ…हमनशीन केतेज़ धडकने… संभाले हुये ए दिल जरा…बचके निकलनिगाँहे करम…यहाँ है बहुत तीर ए नज़र…चुभ गया अगरतू फिसल गया…तू गया
हवाओं ने रुख बदलकरखिजा को बहार बना दिया, पतझड के दिनों मेंपेडों को अंकुरित कर दिया…. बदले-बदले मिजाज कुदरत केइंसानी हुकूक ने सब फना किया, दरिया समंदर दरख्ते सहते रहेकितनों ने फिर भी मना किया… !
आज भी तेरे पास है मेरी तमाम खामोशिया,और तेरे साथ है मेरे यकीन की परछाई, मेरे साथ क्या है तेरा?कुछ जहन मे बसे लब्ज, और तेरे होने का एहसास, साथ है आजभी…