मन की मौज हमें कर्त्तव्य पथ से दूर कर देती है l परिवर्तन प्रकति का नियम है, परन्तु उसका आंकलन करना आवश्यक है l
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मोह का बोझ – भाग २४
शिक्षा पाई या ज्ञान – भाग २३
दुविधा का निवारण – भाग २२
अहंकार का अंधकार – भाग २१
गुरु ,नचिकेता और अर्जुन – भाग २०
हे कृष्ण कुछ तो बोलो – भाग १९
गुरु की शरण – भाग १८
बंद कपाट भाग – २
भ्रमित विचार – भाग – ४९
धर्म का निर्वाह भी हो और कर्तव्य का पालन भी हो कैसे सुनिये प्रस्तुति 48और 49 में, विषय कठिन नहीं पर पर विचार करना योग्य अवश्य है l