जीवन एक आश्चर्य है और मरण भी एक आश्चर्य ही है – कैसे ! गीता में यही तो समझाया गया है l
Author: Neera Bhasin
” जीवन यात्रा ” – भाग ४२
सच केवल सच है, न इसे बदला जा सकता है और न ही इसे झुठलाया जा सकता है l
” तीर कमान ” – भाग ४१
आत्मा देह की अधिष्ठाता है l हम क्रिया रत हैं, विचारों और भावनायों की लहरों पर जीवन नैय्या डाल चुके हैं, यह सब तब ही संभव है जब तक जीव और ब्रह्म (आत्मा) साथ – साथ हैं l
” मानसिक पीड़ा ” – भाग ४०
“परिवर्तन ” – भाग ३९
कर्ता, कारण, कर्म इन सब का आधार जीव का जीवित होना है l
“आत्मा और परिवर्तन ” – भाग ३८
” बदलते रूप ” – भाग ३७
परिवर्तन जीवन की एक प्रक्रिया है फिर चाहे वह जीवधारी हों या प्रकृति द्वारा रचे द्वारा गये तत्व l
” डूबे सो उतरे पार ” – भाग ३६
” आत्मा न कर्ता न कर्म ” – भाग ३५
” आत्मा का विलय ” – भाग ३४
जो जन्मा है वह अवश्य ही मृत्यु को प्राप्त होगा पर कभी कभी मनुष्य कारण और कर्ता के बीच की कड़ी में फंस कर अपने कर्त्तव्य पथ से भटक जाता है l