बूंदाबांदी से प्रफुल्लित था मन
अब भयभीत होता हूँ
बिन मौसम तु बरसता हैं
सबकुछ बहता देख रहा हूँ
किलकारीयोंसे विचलित हैं मन
सूंखी आंखोंमें भूख देख रहा हूँ
बहते पानी का तांडव हरजहाँ
कुछ निवालों की फिराक में हूँ !
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बूंदाबांदी से प्रफुल्लित था मन
अब भयभीत होता हूँ
बिन मौसम तु बरसता हैं
सबकुछ बहता देख रहा हूँ
किलकारीयोंसे विचलित हैं मन
सूंखी आंखोंमें भूख देख रहा हूँ
बहते पानी का तांडव हरजहाँ
कुछ निवालों की फिराक में हूँ !