लंबी चौडी, सीना तानी इमारते झलकती ,
लोग सोए सडकोंपर एैसा दृश्य दिखाती।
कामयाबी, हार-जीत सारे जिंदगी के पहलु निहारे
बदली मै, नजरिया अलग, शहर बदला, संग उसके चौबारे।
रात-दिन श्रम है करते, कुछ करे चोरी चकारी,
कुछ बैठ गए दफ्तरों में कुछ सड़कों पर करे सवारी,
सपने सजाते, घर बनाते, हँसी खुशी वक्त बिताए
आओ एैसी सपनों से सजी हुई सुंदर स्वच्छ मुंबई बनाए ।