आत्मा देह की अधिष्ठाता है l हम क्रिया रत हैं, विचारों और भावनायों की लहरों पर जीवन नैय्या डाल चुके हैं, यह सब तब ही संभव है जब तक जीव और ब्रह्म (आत्मा) साथ – साथ हैं l
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